Published 05 Nov 2025
तेजस्वी यादव का बड़ा दावा – “बीजेपी इस बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी”, बिहार की सियासत में बढ़ी हलचल
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी इस बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। उन्होंने दावा किया कि एनडीए में अंदरूनी खींचतान तेज है और बिहार की जनता बदलाव चाहती है।

परिचय / मुख्य खबर
बिहार की राजनीति में इन दिनों फिर से नई हलचल देखी जा रही है।
आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार को एक बड़ा राजनीतिक दावा करते हुए कहा कि बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाएगी।
तेजस्वी के इस बयान ने न केवल एनडीए खेमे में हलचल मचा दी है, बल्कि आने वाले चुनाव को लेकर नए सवाल भी खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी अब नीतीश कुमार के भरोसे नहीं है और पार्टी नए नेतृत्व की तलाश में है।
तेजस्वी यादव का बयान
पत्रकारों से बातचीत के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा,
“बीजेपी ने नीतीश कुमार जी का बार-बार इस्तेमाल किया है। अब उन्हें समझ लेना चाहिए कि बीजेपी सिर्फ सत्ता के लिए दोस्ती करती है, भावनाओं के लिए नहीं।”
तेजस्वी ने यह भी कहा कि जनता अब नीतीश-बीजेपी की जोड़ी से ऊब चुकी है।
“बिहार में लोग महंगाई, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार से परेशान हैं। जनता इस बार हिसाब लेगी और नया विकल्प चुनेगी,” उन्होंने कहा।

बीजेपी और जेडीयू पर निशाना
तेजस्वी ने अपने बयान में बीजेपी और जेडीयू दोनों पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार सिर्फ सत्ता बचाने में लगी है, जबकि राज्य की बुनियादी ज़रूरतों की अनदेखी हो रही है।
तेजस्वी ने कहा कि बिहार के युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा, किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा और स्कूल-कॉलेजों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है।
उन्होंने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा,
“नीतीश जी अब थक चुके हैं। जनता अब उन्हें रिटायरमेंट देना चाहती है, लेकिन बीजेपी उन्हें सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करती रही है।”
राजनीतिक हलचल और अटकलें
तेजस्वी यादव के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
कई विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी वाकई “पोस्ट-नीतीश” राजनीति की तैयारी कर रही है।
हाल के महीनों में भी कई बीजेपी नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर संकेत दिए हैं कि पार्टी अब “अपना चेहरा” आगे लाना चाहती है।
हालांकि जेडीयू नेताओं ने तेजस्वी के दावे को पूरी तरह खारिज किया है और कहा है कि नीतीश कुमार ही एनडीए के सर्वमान्य नेता हैं।
बीजेपी ने भी अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अंदरखाने चर्चा जरूर तेज है कि अगले चुनाव में रणनीति बदल सकती है।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव के बयान के बाद सोशल मीडिया पर बिहार की राजनीति चर्चा का मुख्य विषय बन गई है।
ट्विटर और फेसबुक पर लोग पूछ रहे हैं — “क्या सच में नीतीश कुमार का राजनीतिक युग खत्म होने वाला है?”
कुछ यूज़र्स ने लिखा कि बीजेपी अब नीतीश पर निर्भर नहीं रहना चाहती, जबकि अन्य का कहना है कि यह तेजस्वी की राजनीतिक रणनीति है ताकि आरजेडी समर्थकों को फिर से एकजुट किया जा सके।
जनता के बीच इस बयान ने उत्सुकता तो बढ़ा ही दी है — कि क्या वाकई बिहार की सत्ता में बड़ा फेरबदल होने वाला है?
राजनीतिक पृष्ठभूमि और संदर्भ
नीतीश कुमार ने पिछले दो दशकों में कई बार राजनीतिक पाला बदला है — कभी एनडीए में, कभी महागठबंधन में।
उनके इस “यू-टर्न” वाले राजनीतिक इतिहास पर तेजस्वी यादव पहले भी कई बार निशाना साध चुके हैं।
तेजस्वी का मानना है कि अब बिहार की जनता “स्थिर नेतृत्व” चाहती है जो बार-बार गठबंधन न बदले।
महागठबंधन की ओर से यह भी संदेश दिया जा रहा है कि अगर जनता उन्हें मौका देती है, तो वे स्थायी और पारदर्शी सरकार देने का वादा करते हैं।
राजनीतिक असर और आगे की राह
तेजस्वी यादव के इस बयान ने एनडीए के भीतर एक नई बहस छेड़ दी है।
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, बीजेपी अब दोहरे दबाव में है — एक तरफ गठबंधन को एकजुट रखना और दूसरी तरफ नई नेतृत्व रणनीति बनाना।
अगर तेजस्वी का दावा सही साबित होता है, तो बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
सारांश / निष्कर्ष
- तेजस्वी यादव ने दावा किया कि बीजेपी इस बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी।
- उन्होंने कहा कि एनडीए में अंदरूनी असहमति बढ़ रही है।
- जनता अब स्थायी और नए नेतृत्व की मांग कर रही है।
- बीजेपी और जेडीयू दोनों पर तेजस्वी ने जमकर निशाना साधा।
- राजनीतिक हलचल के बीच बिहार में चुनावी समीकरण फिर बदलते नज़र आ रहे हैं।
निष्कर्ष
तेजस्वी यादव का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक हमला नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों की दिशा तय करने वाला बयान माना जा रहा है।
इससे साफ है कि बिहार की राजनीति अब “कौन सीएम बनेगा” के नए दौर में प्रवेश कर चुकी है।
बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी — तीनों ही दल अब जनता के मूड को समझने में जुटे हैं।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई नीतीश कुमार एनडीए के चेहरे बने रहेंगे या बीजेपी नया पत्ता खोलती है।

News Team